‘एक देश-एक चुनाव’ को मोदी 3.0 कैबिनेट की मंजूरी देश

‘एक देश-एक चुनाव’ को मोदी 3.0 कैबिनेट की मंजूरी देश हित में ऐतिहासिक निर्णय है।

मगर, ‘एक देश-एक चुनाव’ पर कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों का रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, ये देश और जनता के हित का मुद्दा है, न कि कोई चुनावी मुद्दा है। 1951 से 1967 तक तो देश में एक साथ ही चुनाव होते थे। मगर इस परंपरा को तोड़ने का काम कांग्रेस पार्टी ने ही किया था, जब इंदिरा गांधी जी प्रधानमंत्री थीं। इसलिए, देश के संघीय ढांचे पर बार-बार हमला करने वाले और लोगों के संवैधानिक अधिकारों को छीनकर आपातकाल लगाकर पूरे देश को जेलखाना बनाने वाली कांग्रेस पार्टी को पहले अपने दागदार इतिहास से सबक लेना चाहिए। अंतर्द्वंद्व में फंसी दिशाहीन और नीति विहीन कांग्रेस पार्टी नकारात्मकता और झूठ में इस तरह डूब गई है कि उसे राष्ट्रीय महत्व के विषय पर भी राजनीतिक लाभ-हानि की ही चिंता है। ‘एक देश-एक चुनाव’ भारतीय लोकतंत्र को मजबूती प्रदान कर जनता के हितों को सुरक्षित कर ‘विकसित भारत’ के निर्माण में अहम योगदान देगा। इसलिए, कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों को देश हित के इस निर्णय में अपना हठ छोड़कर भारत सरकार के इस निर्णय में साथ आना चाहिए।