स्रोत महोत्सव 2024: देवभूमि उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और स्थानीय उत्पादों को प्रोत्साहन
देवभूमि उत्तराखंड में आयोजित होने वाले विभिन्न सांस्कृतिक और सामाजिक कार्यक्रमों में से एक महत्वपूर्ण आयोजन है “स्रोत महोत्सव 2024,” जिसे तारा जोशी फाउंडेशन द्वारा आयोजित किया जा रहा है। इस पांच दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ 2 अक्टूबर 2024 को देहरादून के परेड ग्राउंड में किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई, जिसमें बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की धर्मपत्नी श्रीमती गीता धामी ने हिस्सा लिया।
उद्देश्य और महत्व
इस महोत्सव का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और स्थानीय पहाड़ी उत्पादों को बढ़ावा देना है। “लोकल फॉर वोकल” अभियान के तहत, महोत्सव में स्थानीय उत्पादों और मोटे अनाजों के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह आयोजन उत्तराखंड की समृद्ध परंपराओं और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के साथ-साथ उन्हें नए पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास है।
स्रोत महोत्सव न केवल उत्तराखंड की पारंपरिक धरोहर को उजागर करता है, बल्कि यह स्थानीय उत्पादकों को एक मंच प्रदान करता है, जहां वे अपने उत्पादों को प्रदर्शित कर सकते हैं और उन्हें बाजार में पहचान दिला सकते हैं। इस आयोजन का उद्देश्य स्थानीय उद्योगों, विशेष रूप से कृषि और हस्तशिल्प के उत्पादों को बढ़ावा देना है, जिससे स्थानीय समुदायों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया जा सके।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रस्तुतियां
महोत्सव के पहले दिन, मसू देवता के गीतों की प्रस्तुति सन्नी दयान द्वारा दी गई, जिसने दर्शकों को पहाड़ की समृद्ध परंपराओं और संस्कृति से अवगत कराया। इन गीतों ने स्थानीय लोक संस्कृति की गहरी झलक पेश की, जिसमें पहाड़ी जीवन और उसकी संगीतमय विरासत को दर्शाया गया। इसके साथ ही, दर्शकों ने लोक गीतों पर पारंपरिक जमर नृत्य किया, जिससे माहौल में सांस्कृतिक उत्साह और उमंग की लहर दौड़ गई।
उत्तराखंड की परंपरागत कला और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के इस प्रयास में विभिन्न लोक कलाकारों और सांस्कृतिक समूहों ने हिस्सा लिया। महोत्सव में नृत्य, संगीत, और नाट्य प्रस्तुतियों के साथ-साथ हस्तशिल्प और स्थानीय कला की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई।
प्रमुख अतिथियों की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में कई प्रमुख हस्तियों ने शिरकत की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की धर्मपत्नी श्रीमती गीता धामी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उनके साथ, बॉलीवुड अभिनेता पंकज त्रिपाठी ने भी महोत्सव का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर अन्य गणमान्य अतिथियों में विधायक खजानदास, विधायक मुन्ना सिंह चौहान, जिला पंचायत अध्यक्षा मधु चौहान, आईजी नीरू गर्ग, पूर्व मंत्री अमृता रावत और अन्य उच्चाधिकारी उपस्थित थे। इन सभी ने उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने के इस प्रयास की सराहना की।
महोत्सव की अवधि और अन्य आकर्षण
स्रोत महोत्सव 2 अक्टूबर से 6 अक्टूबर 2024 तक चलेगा, जिसमें विभिन्न प्रकार की सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियाँ आयोजित की जाएंगी। इस महोत्सव में उत्तराखंड के विभिन्न जिलों से आए स्थानीय उत्पादकों को अपने उत्पादों का प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा। इसके साथ ही, कृषि और हस्तशिल्प से जुड़े स्टॉल भी लगाए जाएंगे, जहां पर्यटक और स्थानीय लोग पहाड़ी उत्पादों की जानकारी और खरीदारी कर सकेंगे।
महोत्सव में स्थानीय मोटे अनाजों जैसे झंगोरा, मंडुवा और चौलाई के महत्व पर भी प्रकाश डाला जाएगा। इन अनाजों को उत्तराखंड की जलवायु और मिट्टी के अनुकूल माना जाता है और यह पोषण से भरपूर होते हैं। तारा जोशी फाउंडेशन का उद्देश्य इन अनाजों की खेती और उनके उपयोग को प्रोत्साहित करना है, जिससे स्थानीय किसानों को आर्थिक लाभ मिल सके और पारंपरिक कृषि पद्धतियों का संरक्षण हो।
सामाजिक और आर्थिक सरोकार
तारा जोशी फाउंडेशन का यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका आर्थिक और सामाजिक पहलू भी उतना ही महत्वपूर्ण है। उत्तराखंड के स्थानीय उत्पादकों को एक मंच प्रदान करके, यह महोत्सव उन्हें आत्मनिर्भर बनने की दिशा में प्रेरित करता है। “लोकल फॉर वोकल” के तहत स्थानीय उत्पादों का प्रचार-प्रसार कर उनके लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच सुनिश्चित की जा रही है।
साथ ही, इस महोत्सव के माध्यम से उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने का प्रयास किया जा रहा है, जो आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्त्रोत है। महोत्सव के दौरान आयोजित कार्यक्रम न केवल सांस्कृतिक मनोरंजन प्रदान करते हैं, बल्कि वे समाज को अपनी परंपराओं और धरोहरों के प्रति जागरूक भी करते हैं।
निष्कर्ष
स्रोत महोत्सव 2024 एक अद्वितीय पहल है, जो उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर, स्थानीय उत्पादों और मोटे अनाजों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से आयोजित किया जा रहा है। इस महोत्सव के माध्यम से स्थानीय उत्पादकों को एक नया मंच और पहचान मिल रही है, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
तारा जोशी फाउंडेशन द्वारा आयोजित यह महोत्सव उत्तराखंड की परंपरागत संस्कृति और आधुनिक आवश्यकताओं के बीच संतुलन स्थापित करने का एक सराहनीय प्रयास है।